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नीतीश राज में सैंकड़ो करोड़ रू का हिसाब-किताब गायब...महालेखाकार के सवाल पर चादर तान कर सोई है सरकार, क्या यह बड़े घोटाले का संकेत तो नहीं ?

नीतीश राज में सैंकड़ो करोड़ रू का हिसाब-किताब गायब...महालेखाकार के सवाल पर चादर तान कर सोई है सरकार, क्या यह बड़े घोटाले का संकेत तो नहीं ?

PATNA: महालेखाकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में भवन निर्माण विभाग और पिछड़ा अति पिछड़ा  वर्ग कल्याण विभाग में करीब 232 करोड़ 25 लाख रू की गड़बड़ी पकड़ी थी।।महालेखाकार ने इस पर गहरी आपत्ति जताई और विभाग को निरीक्षण प्रतिवेदन भेजा था।तब ले लेकर अबतक सरकार चादर तान कर सोई हुई थी।कई बार हिसाब-किताब मांगने के बाद भी सरकार नहीं बता रही कि आखिर ढ़ाई सौ करोड़ से अधिक की राशि कहां खर्च हो गई।

अब पिछड़ा अति पिछड़ा कल्याण विभाग की नींद खुली है

विभाग ने पिछड़ा अति पिछड़ा विकास निगम पुल निर्माण निगम और भवन निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख को 11 नवंबर को पत्र लिखा है।पत्र में उल्लेख किया गया है कि महालेखाकर कार्यालय पटना से प्राप्त निरीक्षण रिपोर्ट में गंभीर आपत्ति दर्ज की गई है।उन आपत्तियों के निराकरण को लेकर कई दफे पत्राचार किया गया।4 नवंबर की बैठक में भी एक सप्ताह के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था।

विभाग ने स्पष्ट तौर पर आदेशित किया है कि महालेखाकार के निरीक्षण प्रतिवेदन में उठाई गई आपत्तियों के निराकरण एवं आवंटि संपूर्ण राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र एवं साक्ष्य के रूप में कार्य पूर्ण होने का प्रमाणपत्र दें।ताकि उसे महालेखाकार को भेजा जा सके।

27 कार्यपालक अभिंयता के क्षेत्राधिकार में हुई है गड़बड़ी

इसके बाद भवन निर्माण विभाग ने अपने 27 जिलों के कार्यपालक अभियंता को पत्र भेजकर महालखाकार कार्यालय द्वारा दर्ज की गई आपत्तियों के निराकरण हेतू अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा है।

कर्पूरी छात्रावास का 3629 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिला

बता दें कि महालेखाकार ने 2008-09 से 2011-12 तक कपूर्री ठाकुर छात्रावास को लेकर 4025.25 लाख की आवंटित राशि का अबतक उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया गया।इसके अलावे भवन निर्माण विभाग का56.32 लाख को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है।इसके बाद छात्रावास निर्माण हेतू 110.64 का संदेहास्पद व्यय किया गया है।फिर एसी के रूप में निकाली गई राशि का डी.सी बिल 16424 लाख का अबतक लंबित है।

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