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'स्याही' के फेरे में इस बार फंस गए बीजेपी के बाबा, इसके पहले भी 'नीले' रंग ने कई नेताओं को लिया है निशाने पर

'स्याही' के फेरे में इस बार फंस गए बीजेपी के बाबा, इसके पहले भी 'नीले' रंग ने कई नेताओं को लिया है निशाने पर

PATNA: पीएमसीएच में डेंगू मरीजो को देखने गए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे इस बार स्याही के फेरे में फंस गए।इसके पहले भी नीले रंग ने बिहार के कई सत्ताधारी नेताओं पर कहर ढ़ाया है।इस बार अश्विनी चौबे के मुंह पर स्याही फेंकी गई है। कुछ दिन पहले यानि 24 सितबंर 2019 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ी पर भी स्याही फेंकी गई थी।तब वे मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच में विकास योजनाओं का उदघाटन -शिलान्यास करने जा रहे थे।इसी बीच वहां मौजूद कुछ युवकों ने उनकी गाड़ी पर स्याही फेंक दी और विरोध में नारेबाजी किया।हालांकि पुलिस ने तत्काल उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।स्याही फेंकने वाले लोग मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से सैंकड़ों बच्चों के मौत का गुनाहरगार सीएम नीतीश को बता रहे थे।

अक्टूबर 2018 में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी पर भी स्याही फेंकी गई थी।उनपर सीतामढ़ी में सवर्ण समाज के लोगो ने स्याही फेंकी थी।दरअसल बिहार में बीजेपी नेताओं को एससी/एसटी एक्ट में किए संशोधन और आरक्षण को लेकर लगातार सवर्ण समाज के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। इसी दरअसल, भारतीय जनता युवा मोर्चा के युवा संकल्प सम्मेलन में शिरकत करने के लिए सुशील मोदी सीतामढ़ी पहुंचे थे लेकिन वहां उनका स्वागत सवर्ण सेना के कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर स्याही फेंक कर की थी।

वहीं 3 अक्टूवर 2018 को मुजफ्फरपुर में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को भी युवाओं के गुस्से का सामना करना पड़ा था। भाजपा के कार्यक्रम में भाग लेने मुजफ्फरपुर पहुंचे रामकृपाल की गाड़ी को रास्ते में गरीब जनक्रांति पार्टी के युवा सदस्यों ने घेर लिया और उनकी गाड़ी पर स्याही फेंक दी थी.

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