PATNA: देश के महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू अब हमारे बीच नहीं हैं।पीएमसीएच में आज उन्होंने आखिरी सांस ली।निधन के बाद उनके शव को घर ले जाने के लिए सरकार ने एंबुलेंस तक भी व्यवस्था नहीं कर सकी. कई घंटों तक उनका शव पीएमसीएच में पड़ा रहा। मीडिया में खबर आने के बाद मुख्यमंत्री ने शोक जताया और बिहार के लिए बड़ी क्षति बता दिया।इसके बाद सिस्टम की नींद टूटी तो आनन-फानन में बेशर्म अधिकारी शव को ले जाने की व्यवस्था करने पीएमसीएच पहुंचे।अधिकारी के पीछे-पीछे जेडीयू के कार्यकर्ता भी पीएमसीएच पहुंच गए।उससे पहले पूर्व सांसद पप्पू यादव भी अपने अमला के साथ पहुंच चुके थे।
गौरतलब है कि इसके पहले भी बीमारी की अवस्था में पप्पू यादव ने न सिर्फ पीएमसीएच जाकर वशिष्ठ बाबू से मुलाकात की थी बल्कि यथासंभव मदद भी किया था।पप्पू यादव को जैसे हीं खबर मिली वो पीएमसीएच पहुंच वशिष्ठ बाबू के पार्थिव शरीर को ले जाने की व्यवस्था करने लगे।इतने में हीं जेडीयू नेताओं के द्वारा पप्पू यादव पर आरोप लगाया जाने लगा कि आप राजनीति मत करिए।
फिर क्या था पप्पू यादव जेडीयू नेताओं पर भड़क गए और पूछा कि पिछले तीस सालों से इनको देखने के लिए कौन आया,इनकी इस अवस्ता के लिए कौन जिम्मेदार है? उसके बाद पप्पू यादव वशिष्ठ बाबू के पार्थिव शरीर को लेकर चलते बने।
बता दें कि दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भी वशिष्ठ बाबू के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि देने उनके आवास पहुंचे।लेकिन बेहद शर्मनाक यह है कि अपने पूरे जीवनकाल में वशिष्ठ बाबू भयंकर त्रास्दी को झेलते रहे।परिजनों द्वारा लगातार गुहार लगाने के बाद भी न सरकार और न हीं कोई राजनीतिक दल ने यह प्रयास किया कि इन्हें बाहर ले जाकर इलाज कराई जाए।पूरी जिंदगी बीमारी की अवस्था में गुजारने वाले वशिष्ठ बाबू की मौत के बाद राजनीति का एक और बेशर्म चेहरा समाज के सामने आया है।वशिष्ठ बाबू तो नहीं रहे लेकिन पार्थिव शरीर पर हो रही बेशर्म राजनीति से उनकी आत्मा यही कह रही होगी कि कृप्या मुझे बख्स दो.......।
महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू के जीते-जी बेपरवाह रही बिहार सरकार अब निधन के बाद राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्ठि की घोषणा कर दी है।इतना हीं नहीं मुख्यमंत्री ने उनके नाम पर इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का ऐलान कर दिया है।