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बीपीएससी 63वीं की परीक्षा में नवादा के 6 लोगों ने किया जिले का नाम रौशन, पढ़िए पूरी खबर

बीपीएससी 63वीं की परीक्षा में नवादा के 6 लोगों ने किया जिले का नाम रौशन, पढ़िए पूरी खबर

NAWADA : 63वीं बीपीएससी की परीक्षा में नारदीगंज प्रखंड के छोटे से कस्बे पड़रिया गांव की अर्चना कुमारी ने अपने पहले ही प्रयास में शानदार कामयाबी हासिल की है. बीपीएससी की टॉप टेन लिस्ट में उन्हें छठा रैंक प्राप्त हुआ है. उन्हें श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी का पद मिला है. बचपन से ही पढ़ाई के प्रति गहरी रुचित रखने वाली अर्चना ने प्राथमिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर से हासिल करने के बाद नई दिल्ली स्थित श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में स्नातक की डिग्री ली. इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातकोतर की डिग्री ली. इनके पिता राजेंद्र प्रसाद मध्य विद्यालय डोहरा से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत हुए हैं. अर्चना बताती हैं कि अपने पिता के साथ दिल्ली में रहकर ही बीपीएससी की तैयारी की. इसमें परिवार के सदस्यों और दोस्तों का भरपूर सहयोग मिला. ऑनलाइन रिर्सोसेज से भी तैयारी करने में काफी मदद मिली. यूपीएससी के टॉपरों से काफी प्रेरणा मिली. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि अपनी पढ़ाई के दौरान विषय पर पूरी पकड़ रखें. इससे आपकों काफी मदद मिलेगी और निश्चित रुप से प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल होगी. 

सुबोध बने डीएसपी, बीपीएससी में मिला 49वां रैंक

नवादा सदर प्रखंड के एक छोटे से गांव शिवचरण बिगहा के निवासी सुबोध कुमार सिन्हा ने बीपीएससी 63वीं की परीक्षा में शानदार सफलता अर्जित करते हुए 49वां रैंक हासिल किया है. उन्हें बिहार पुलिस सेवा डीएसपी का पद हासिल हुआ है. इनके पिता बृजनंदन चौहान गांव में ही प्राइवेट शिक्षक हैं और माता गिरिजा देवी गृहिणी हैं. सुबोध बताते हैं कि नियमित रुप से 7-8 घंटे तैयारी करने पर यह सफलता मिली. प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हुई. इसके बाद गांधी इंटर विद्यालय से मैट्रिक और श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की. इसके बाद पढ़ाई करने वाराणसी चले गए और वहीं रहकर बीपीएससी की तैयारी की. वे कहते हैं कि नियमित रुप से मेहनत करने पर सफलता जरूर मिलती है. अपने बेटे की सफलता से गदगद बृजनंदन चौहान कहते हैं कि उन्हें सुबोध की क्षमता पर शुरू से विश्वास था. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के बावजूद संघर्ष कर बेटे को शिक्षा दिलाई. सुबोध के बड़े भाई प्रशांत कुमार सिन्हा सरकारी शिक्षक हैं और छोटा भाई सुधांशु कुमार बीएचयू में पढ़ाई कर रहा है. सबसे बड़ी बहन शशि प्रभा कुमारी हैं.  

कुमार गौरव ने 211वां रैक प्राप्त कर बने श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी 

नवादा नगर के वीआइपी कॉलोनी मोहल्ला निवासी और रामलखन सिंह यादव कॉलेज के पूर्व प्राचार्य कुलदीप नारायण कलाधर के पुत्र कुमार गौरव ने बीपीएससी की परीक्षा में शानदार उपलब्धि हासिल की है. उन्हें 211वां रैंक प्राप्त हुआ है और सफलता अर्जित कर श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बने हैं. वे मूलत: सिरदला प्रखंड के सुनारी गांव के रहने वाले हैं. इनकी माता कुमारी शोभा सिन्हा सरकारी शिक्षिका हैं. कुमार गौरव ने गांधी स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की. उसके बाद बीएन कॉलेज पटना से स्नातक की डिग्री हासिल की. फिलहाल मगध विश्वविद्यालय से शोध कर रहे हैं. इनकी उपलब्धि पर परिजनों में काफी खुशी देखी जा रही है. परिवार के सदस्य फूले नहीं समा रहे हैं. 

दीपिका कुमारी 59वां रैंक प्राप्त कर कॉमर्शियल टैक्स आफिसर बनीं

नवादा नगर के पटेल नगर निवासी प्रेम रंजन प्रसाद और मीना कुमारी की पुत्री दीपिका कुमारी ने बीपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर 59वां रैंक प्राप्त किया है. उन्हें बिहार वित्त सेवा में कॉमर्शियल टैक्स आफिसर का पद मिला है. दीपिका ने वर्ष 2005 में प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा की. हल्दिया इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की. फिलहाल झारखंड राज्य के हजारीबाग में डिवीजन एकाउंट अफसर के पद पर कार्यरत हैं. इनके पति अरीजीत भी हजारीबाग में ही डिवीजन एकाउंट अफसर के पद पर कार्यरत हैं. अपने दूसरे प्रयास में दीपिका को यह सफलता मिली. दीपिका के पिता डॉ. गंगारानी सिन्हा कॉलेज में हेड क्लर्क हैं और मां रोह प्रखंड में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षक हैं.  

सोनल कुमार को मिला 72वां रैंक, कॉमर्शियल टैक्स ऑफिसर का पद मिला

रजौली बाजार निवासी मशहूर व्यवसायी स्व. लखनलाल वीर के पौत्र और गोपाल प्रसाद वीर के बड़े बेटे सोनल कुमार ने बीपीएससी की 63 वीं परीक्षा में पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर रजौली का नाम रोशन किया है. सोनल को बीपीएससी में 72वां रैंक मिला है. उन्हें बिहार वित्त सेवा में कॉमर्शियल टैक्स ऑफिसर का पद मिला है. 28 वर्षीय सोनल ने अपनी सफलता का श्रेय माता ममता देवी व पिता गोपाल प्रसाद को दिया है. सोनल की सफलता से माता-पिता काफी उत्साहित हैं और वे खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. सोनल का सपना आइएएस अधिकारी बनने का है. सोनल 63 वीं परीक्षा में 72 वां रैंक पाने के बाद भी बेहतर सफलता पाने के लिए प्रयासरत हैं. वे बीपीएससी की 64 वीं परीक्षा में प्रारंभिक व मेंस की परीक्षा दे चुके हैं. वहीं मंगलवार को बीपीएससी की 65वीं की परीक्षा में भी शामिल होंगे. उनकी मां ने बताया कि सोनल यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे हैं. 2018 की यूपीएससी की प्रारंभिक व मेंस परीक्षा भी उन्होंने पास की थी. लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिल पाने के कारण आइएएस अधिकारी बनने का सपना अब तक पूरा नहीं हुआ है, जिसे वे पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं. सोनल ने मैट्रिक की पढ़ाई सरस्वती विद्या मंदिर से सीबीएसई से 2007 में की थी. 2009 में मथुरासिनी इंटरमीडिएट महाविद्यालय से इंटर पास की. इसके बाद निफ्ट हैदराबाद से फैशन डिजाइनिंग में 2013 में पास आउट हुए. इसके बाद वे हरियाणा के गुड़गांव में सत्यपाल साड़ी फैक्ट्री व फैब्रिक्स में 3 वर्ष नौकरी भी कर चुके हैं. परिवार में सोनल के अलावे उनका छोटा भाई सौरभ है, जो भागलपुर पीएचसी में हेल्थ मैनेजर के रूप में स्थापित है. वहीं बहन कृतिका कुमारी रायबरेली में नेफ्ट में सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही है.

कुणाल कुमार 368वां रैंक प्राप्त श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी का पद मिला

रोह बाजार निवासी अशोक साव के पुत्र कुणाल कुमार ने बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर 368वां रैंक प्राप्त किया है. उन्हें श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी का पद मिला है. कुणाल ने उड़ीसा में स्टेट बैंक में पीओ के पद पर 2010 से 2014 तक नौकरी की. लेकिन उन्हें यह नौकरी रास नहीं आ रही थी. अपनी मेहनत पर भरोसा करते हुए उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी. इसके बाद बैंक की नौकरी को छोड़ने का फैसला सही ठहराने के लिए बीपीएससी की तैयारी में जुट गए. आखिरकार उनका मेहनत रंग लाया और बीपीएससी 63वीं की परीक्षा में सफलता हासिल की. कुणाल की मां रानी सरोज झारखंड में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. कुणाल की इस सफलता पर परिजनों में काफी खुशी है.

नवादा से अमन सिन्हा की रिपोर्ट


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