PATNA : बिहार में बड़े पैमाने पर बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है । सरकार ने बिहार प्रशासनिक सेवा के 87 अफसरों का स्थानांतरण-पदस्थापन किया है। कई अनुमंडलों के एसडीओ के अलावे डीडीसी और अपर समाहर्ता स्तर के अधिकारी बदले गये हैं. 87 अधिकारियों में 37 अनुमंडलों के एसडीओ का स्थानंतरण किया गया है। इनमें से कई अफसर भाग्यशाली निकले। वहीं एक अफसर तो एक महीने पहले मुजफ्फरपुर का जिला परिवहन पदाधिकारी बनाया गया। इसके बाद अब उस अधिकारी की सेवा वापस लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने एसडीओ के पद पर पदस्थापित किया गया है। वहीं परिवहन विभाग के ओएसडी पर भी 2013 से ही कृपा बरसाई जा रही है।
एडीटीओ से डीटीओ बनाया फिर एसडीओ
बिहार में जुलाई महीने में बालू खनन को लेकर सरकार की कार्रवाई जारी थी। पटना के डीटीओ-एमवीआई समेत दो जिलों के एसपी,एसडीओ-एसडीपीओ पर सरकार का सख्त एक्शन हो रहा था। इसी बीच 12 जुलाई को पटना के एडीटीओ रहे लाल ज्योतिनाथ शाहदेव को स्थानांतरित करते हुए मुजफ्फरपुर का डीटीओ बनाया गया था। परिवहन विभाग ने 12 जुलाई को इस संबंध में आदेश जारी किया था। अब उसी अधिकारी को डेढ़ महीने बाद ही एसडीओ बना दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने लाल ज्योतिनाथ शाहदेव की सेवा को परिवहन विभाग से वापस लेते हुए आरा सदर का एसडीओ बना दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरूवार को जो 87 अधिकारियों के स्तानांतरण का आदेश जारी किया है उनमें शाहदेव का नाम 14 वें नंबर पर है।
8 सालों से एक ही जगह पर जमे हैं ओएसडी
सामान्य प्रशासन विभाग अपने हिसाब से अधिकारियों का तबादला करता है। शायद नियम-कानून से मतलब नहीं। तभी तो किसी अधिकारी का महीने भर में स्थानांतरण और किसी खास अफसर को खास जगह पर आठ-आठ तक बिठाये रखा जाता है। 2 सितंबर को जारी स्थानांतरण आदेश में कई विभागों के ओएसडी का स्थानांतरण किया गया। लेकिन आठ सालों से परिवहन विभाग के ओएसडी के पद पर जमे अधिकारी का स्थानांतरण नहीं हो रहा।
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सरकार ही बता रही 2013 से OSD के पद पर हैं पदस्थापित
बता दें, परिवहन विभाग के ओएसडी अजीव वत्सराज बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। बिहार सरकार ने अजीव वत्सराज को नवंबर 2013 में ही परिवहन विभाग के ओएसडी के पद पर पदस्थापित किया था। तब से लेकर आज तक वे इसी पद पर बने हुए हैं। 2013 से लेकर अब तक सरकार ने न जाने कितनी दफे अधिकारियों के ट्रांसफर की लिस्ट जारी की। लेकिन 8 सालों से जमे अधिकारी पर सरकार की जबरदस्त मेहरबानी है। शायद नीतीश सरकार को लगता है कि उक्त अधिकारी के बिना परिवहन विभाग चलाना संभव नहीं।