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सुशासन की मिट्टी पलीद कर रहा परिवहन विभाग! बिहार ऐसा राज्य जहां वाहनों का 'फिटनेस' जांच नहीं होता या फिर बिना देखे ही रिपोर्ट होता है तैयार

सुशासन की मिट्टी पलीद कर रहा परिवहन विभाग! बिहार ऐसा राज्य जहां वाहनों का 'फिटनेस' जांच नहीं होता या फिर बिना देखे ही रिपोर्ट होता है तैयार

पटनाः बिहार में निबंधित करीब 10 लाख व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस प्रमाण-पत्र का कोई इंतजाम नहीं है।वर्तमान में बिहार में फिटनेस प्रमाण पत्र देने का MVI फार्मूला लागू है। इस फार्मूला के तहत जिले के MVI बिना जांचे ही ऑफिस में बैठ कर सिग्नेचर करते हैं और फिट-अनफिट गाडियां पूरी तरह से दुरूस्त हो जाती हैं। वहीं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी परिवहन विभाग की पूरी पोल खोल दी है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र नवीनीकरण नहीं होने से 187.01 करोड़ के राजस्व से सरकार वंचित हो गई। दरअसल बिहार में फिटनेस जांच की सिर्फ खानापूर्ति होती है। देश में शायद बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां गाड़ियों का या तो फिटनेस जांच नहीं होता या फिर बिना देखे ही रिपोर्ट तैयार किया जाता है। वर्तमान में बिहार में गाड़ियों के फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एमवीआई फार्मूला लागू है। बिहार सरकार बिहटा में फिटनेस प्रमाणन केंद्र बना रही है। मार्च 2021 में इसका शिलान्यास किया गया है। बड़ा सवाल ही है कि अगर बिहटा का केंद्र बन कर तैयार भी हो जाता है फिर भी 10 लाख गाड़ियों का एक केंद्र से फिटनेस प्रमाण पत्र देना संभव नहीं है। 


कैग ने सुशासन के सरकार की खोल दी पोल

 लेखा परीक्षा ने परिवहन वाहनों के संबंध में जांच किया और फिटनेस तालिका जांच की। जांच में 3 लाख 19 हजार 575 वाहनों का किया गया। इसमे से 91 हजार 808 वाहन बिना फिटनेस के जनवरी 2017 से जनवरी 2020 के बीच चलाये गए। हालांकि देय कर की वसूली की गई। फिटनेस की समाप्ति से संबंधित सूचना वाहन सॉफ्टवेयर में उपलब्ध था, लेकिन जिला परिवहन पदाधिकारी या MVI ने ना तो कोई कार्रवाई की और ना ही अयोग्य वाहनों को रोकने के लिए  सूची प्रस्तुत की गई। जिला परिवहन पदाधिकारी ने समय सीमा समाप्त हुए वाहनों के निबंधन परमिट रद्द करने की कार्रवाई शुरू की और न ही दोषी वाहन मालिकों को कोई सूचना भेजी। ऐसे वाहनों का चलना सार्वजनिक सुरक्षा के जोखिम से भरा हुआ है। परिवहन विभाग की इस लापरवाही भरे कदम से सरकार को 187.01 करोड़ (जिसमे 3.85 करोड़ परीक्षण,1.84 करोड़ नवीनीकरण और 181.32 करोड अतिरिक्त शुल्क) के राजस्व से वंचित होना पड़ा।विऊाग ने माना कि बिना वध फिटनेस प्रमाण पत्र के सड़क पर चलने वाले वाहनों के लिए भारी आर्थदंड़ का प्रावधान था। 

बिहटा में बन रहा फिटनेस प्रमाणन केंद्र

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से अत्याधुनिक इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर बिहटा में बनाया जा रहा है. सेंटर के निर्माण को लेकर बिहार सरकार ने 3 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई है. योजना के कुल लागत ₹19करोड़ 65 लाख रू है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा ₹16.50करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है. सेंटर के निर्माण के लिए निर्धारित भूखंड पर बाउंड्री वाल एवं लैंड डेवलपमेंट पर होने वाले व्यय 3.15 करोड़ रू का वाहन राज्य सरकार के द्वारा सड़क सुरक्षा निधि मद से की जाएगी. इस सेंटर का निर्माण सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट पुणे द्वारा किया जा रहा है. परिवहन विभाग द्वारा बताया गया है कि बिहटा में इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर के प्रारंभ होने से पटना तथा इसके आसपास के जिलों में परिचालित सभी व्यवसायिक वाहनों का ऑटोमेटेड तरीके से जांच किया जा सकेगा. साथ ही जांच किए वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र एवं प्रदूषण प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा. इससे वाहनों की सुरक्षा के साथ पर्यावरण की स्वच्छता को भी बढ़ावा मिलेगा, साथ ही सड़क दुर्घटना में कमी आएगी. बड़ा सवाल यही है कि आने वाले दिनों में बिहटा में एक केंद्र के शुरू होने से पूरे बिहार की गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण देना कैसे संभव होगा ?

फिटनेस जांच की व्यवस्था नहीं,जांच के नाम पर नौटंकी 

परिवहन विभाग का सिस्टम किसी मजाक से कम नहीं। अधिकारी सरकार की आंखों में धूल झोंकते हैं। विभाग की तरफ से दावे किये जाते हैं कि गाड़ियों की जांच कर फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब सूबे में कहीं भी जांच केंद्र ही नहीं है तो फिर जांच कहां की जाती है। परिवहन विभाग समय-समय पर फिटनेस जांच अभियान चलाने का नौटंकी करता है। बड़ा सवाल यही है कि जब फिटनेस जांचने की कोई व्यवस्था ही नहीं तो फिर जांच कैसे हुई।

बिना देखे एमवीआई जारी करते हैं फिटनेस प्रमाण पत्र

परिवहन विभाग समय-समय पर कॉमर्शियल गाड़ियों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है।जानकार बताते हैं कि इस तकनीक वाले युग में भी परिवहन विभाग के अधिकारी बिना देखे ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करते हैं. वर्ष 2003-04 में सरकार की तरफ से ऑनलाइन फिटनेस जांच केंद्र की मंजूरी दी गई थी,इसकी संख्या 40 थी. लेकिन अब सूबे में निजी क्षेत्र में एक भी ऑनलाइन फिटनेस केंद्र संचालित नहीं हैं। सभी फिटनेस केंद्र का लाइसेंस खत्म हो गया इसके बाद परिवहन विभाग की तरफ से कोई नया लाइसेंस जारी नहीं की गई है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में सरकार का अपना कोई भी फिटनेस केंद्र नहीं है। फिटनेस का काम विभाग ने एमवीआई को सुपूर्द कर दिया है। सरकार के पास एक भी डिजिटल फिटनेस केंद्र नहीं है। एक तरफ परिवहन विभाग का सारा काम ड्राईविंग लाइसेंस से लेकर अदना सा काम ऑनलाइन और डिजिटल मोड में हो रहा,लेकिन फिटनेस प्रमाण पत्र एमवीआई के द्वारा आंख से देखकर ही जारी किया जा रहा है। कई जगहों से ऐसी शिकायत भी लगातार मिलती है कि एमवीआई बिना जांच के ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया. अब तक पटना समेत कई जिलों से ऐसे मामले आये हैं जहां एमवीआई दूसरे जिले के थानों में बंद गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिये। समझ सकते हैं कि बिहार में फिटनेस जांच की क्या व्यवस्था है। 

बिहार में करीब 9.6 लाख कॉमर्शियल वाहन

बिहार मोटर व्हेकिल फिटनेस एसोसिएशन की तरफ से परिवहन विभाग से ऑनलाइन फिटनेस को लेकर लाइसेंस निर्गत करने की मांग की जाती रही है।लेकिन परिवहन विभाग को एमवीआई के आंख पर ज्यादा भरोसा है।बिहार विधान मंडल में इस मामले को कोई दफे उठाया गया लेकिन सरकार मामले को उलझाती रही. परिवहन विभाग ने जून 2020 में विधान परिषद में पूछे गए सवाल का जवाब दिया था। तत्कालीन मंत्री संतोष निराला की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया था कि बिहार में 9 लाख 57 हजार निबंधित कॉमर्शियल वाहन हैं। 2015 से बिहार में संचालित निजी फिटनेस केंद्र के नवीकरण एवं नये फिटनेस केंद्र के लाइसेंस की स्वीकृति पर रोक है। मोटर यान निरीक्षक की तरफ से व्यवसायिक वाहनों की जांच कर फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। हालांकि तब मंत्री जी यह नहीं बता पाये थे कि बिहार में ऑनलाइन गाड़ियों की जांच कर फिटनेस देने का काम कब शुरू होगा. 


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