पटना : बिहार में पिछले साल लू से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई थी। अचानक लू चलने की वजह से औरंगाबाद, नवादा, गया समेत दक्षिण बिहार के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ गए थे। उससे सबक लेते हुए बिहार सरकार ने इस बार लोगों को पहले से ही सचेत रहने का आह्वान कर रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पिछले साल की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसको लेकर सभी अधिकारियों को सचेत रहने को कहा है। अब स्वास्थ्य विभाग ने सभी डीएम, चिकित्सा महाविद्यालय के अधीक्षक, सिविल सर्जन को पत्र लिखकर लू लगने पर निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में निदेशक प्रमुख डॉ नवीन चंद्र प्रसाद ने एसओपी के संबंध में जानकारी दी है। पत्र में कहा गया है कि लू लगने पर निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है अगर मरीज में लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें एसओपी के अनुरूप चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराएं।
पत्र में कहा गया है कि बिहार के कुछ जिलों में गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण लोग हीटवेव की चपेट में आ जाते हैं, जिससे लू लगने से लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है। इससे बचा जा सकता है यदि लू लगने के लक्षणों को पहचान ने एवं उपचार के तत्काल एक व्यवस्था की जाए।
लू लगने के लक्षण
तेज बुखार जैसे 105 डिग्री फॉरेनहाइट या उससे ज्यादा तापमान, मानसिक अवस्था में परिवर्तन, अत्यधिक सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी की प्रवृत्ति या उल्टी आना,मांस पेशियों में अत्यधिक दर्द होना, कमजोरी शरीर में ऐंठन,पेशाब की मात्रा में कमी, शरीर से पसीना का नहीं निकलना, शुष्क एवं गर्म त्वचा, दिल की धड़कन तेज होना या हल्का होना.
प्राथमिक उपचार
मरीजों को यथाशीघ्र छायादार स्थान पर ले जाएं,शरीर के सभी कपड़ों को हटा दें, मरीज को पीठ के बल लिटा दिया जाए, बिछावन को पैर की तरफ ऊंचा रखें,ठंडा पानी या बर्फ मिले हुए पानी से पूरे शरीर को पोछा जाए या स्नान कराया जाए, शीतल जल अथवा ओआरएस का घोल दिया जाए, मरीज को वातानुकूलित कमरे में स्थानांतरित किया जाए।अगर इससे भी नही हो तो तत्काल इमरजेंसी में भर्ती किया जाए।